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SECRET BEHIND DIVISION OF AKHAND BHARAT

 

Secret behind division of Akhand Bharat

जिन्ना का ये सीक्रेट खुल जाता तो आज ‘अखंड भारत’ का सपना साकार होता
 

कई लोगों ने उसे सड़ा गला पाकिस्तान कहा क्योंकि उसका दूसरा हिस्सा यानी पूर्वी पाकिस्तान इतनी दूर था कि उसके लिए पूरे भारत और श्रीलंका को समुद्री मार्ग से पार करके जाना पड़ता था. 

एक ऐसी शख्सियत था जिसने अपनी जिद से देश का बंटवारा करवा दिया. 

गांधी जी, नेहरू, पटेल जैसे उस वक्त के राष्ट्रीय नेताओं तक को ये समझ में नहीं आ रहा था कि जिन्ना से कैसे पार पाएं. 

एक बार तो गांधी जी ने जिन्ना के सामने आजाद अखंड भारत का पीएम बनाने का प्रस्ताव रख दिया था लेकिन नेहरू समेत कांग्रेस के तमाम नेताओं ने इसे मानने से साफ इनकार कर दिया. 

अगर उन्हें जिन्ना का ये सीक्रेट उस वक्त पता चल जाता तो ना केवल आसानी से जिन्ना से निपटा जा सकता था बल्कि आज हमारा देश अखंड भारत होता यानी भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश अलग नहीं होते. 

इस सीक्रेट का राजफाश बाद में जाकर किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में हुआ. 

जब पाकिस्तान एक नए देश के रूप में सामने आया तब जिन्ना को काफी खुशी हुई थी. वो एक नए देश का कायदे आजम बन गया था, एक पूरा देश उसके इशारों पर चलने वाला था. 

लेकिन तमाम लोगों ने उसे सड़ा गला पाकिस्तान कहा क्योंकि उसका दूसरा हिस्सा यानी पूर्वी पाकिस्तान इतनी दूर था कि उसके लिए पूरे भारत और श्रीलंका को समुद्री मार्ग से पार करके जाना पड़ता था, जो बाद में भारत सरकार की मेहरबानी से 1971 में बांग्लादेश बन गया. 

ऐसे में सवाल भी उठा था कि जिन्ना को ऐसी क्या जल्दी थी कि वो ऐसा पाकिस्तान लेने को तैयार हो गया जो एक ना एक दिन दो भागों में टूटना ही था? 

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वो राज क्या था जो कांग्रेस के नेताओं को उस वक्त पता चल जाता तो हमारा देश आज अखंड भारत होता और जिन्ना से भी निपट लिया जाता. 

इसका जवाब लैरी कोलिंस और डोमनिक लैपियरे की मशहूर किताब ‘ फ्रीडम एट मिडनाइट’ में मिला. 

इस किताब में ये राज खोला गया कि जिन्ना एक गंभीर बीमारी से पीड़ित था और उसको ज्यादा दिन जिंदा रहने की उम्मीद नहीं थी. 

ऐसे में वो इतिहास में अमर होना चाहता था लेकिन भारत में ना उसको प्राइम मिनिस्टर की पोस्ट मिलने की उम्मीद थी और ना गांधी जैसा सम्मान. 

ये काम उसे केवल अपने नए देश में मिल सकता था, जहां उससे बड़ा या उसके कद का कोई और नेता ना हो जबकि हिंदुस्तान में ऐसे तमाम नेता थे.

दरअसल जिन्ना को ट्यूबरक्लोसिस यानी टीबी की बीमारी थी, जो आखिरी स्टेज में थी. 

जिन्ना का इलाज मुंबई के एक डॉक्टर कर रहे थे, फिर भी जिन्ना ने इसके बारे में किसी को बताना मुनासिब नहीं समझा. 

दरअसल उन दिनों टीबी एक भयंकर बीमारी समझी जाती थी क्योंकि इसका इलाज आसान नहीं था. 

जिन्ना नहीं चाहता था कि ये बात सबको पता चले, अगर पता चलता तो लोग पाकिस्तान की उसकी ख्वाहिश को थोड़ा और टाल देते. 

जिन्ना के बाद मुस्लिम लीग के पास कोई और बड़ा नेता नहीं था जो मुस्लिमों को एक करके गांधी, नेहरू या पटेल पर दवाब बना सकता. 

जिन्ना को इस बीमारी के बारे में जून 1946 में उसके फिजीशियन डॉक्टर जे. ए. एल. पटेल ने बताया था. 

उस वक्त टीबी की बीमारी इतनी खतरनाक मानी जाती थी कि कमला नेहरू का इलाज स्विटजरलैंड तक में हुआ था लेकिन पंडित नेहरू का परिवार इतने पैसे खर्च करने के बावजूद भी उनको बचा नहीं पाया था. 

जिन्ना की उम्र भी काफी हो गई थी और जिन्ना को अंदाजा था कि वो अब बचने वाले नहीं है. 

‘फ्रीडम ऑफ मिडनाइट’ के लेखकों का दावा है कि अगर ये बात गांधी जी, नेहरू या माउंटबेटन को अप्रैल 1947 तक भी पता चल गई होती तो जिन्ना उनको इतनी धमकी नहीं दे पाता. 

लेकिन जिन्ना ने अपना ये सीक्रेट सबसे छुपा कर रखा, इस मामले में उसके डॉक्टर ने भी काफी मदद की. 

यहां तक कि ब्रिटिश सीक्रेट सर्विस भी इसका पता नहीं कर पाई. बाद में गुरिंदर चड्ढा ने ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ किताब पर आधारित मूवी ‘वायसराय हाउस’ भी बनाई, जो 2017 में रिलीज हुई. 

जिन्ना के पास ज्यादा वक्त नहीं था, डॉक्टर ने उससे कहा था कि अगर एक दो साल और जीना चाहते हो तो सिगरेट और शराब छोड़ दो. 

हालांकि जिन्ना ने काफी हद तक इसे फॉलो भी किया लेकिन फिर भी वो ज्यादा दिन तक नहीं जी पाया. 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान नया देश बना और तेरह महीने में तीन दिन अभी कम थे कि 11 सितंबर 1948 को जिन्ना की मौत हो गई. 

अगर किसी भी तरीके से जिन्ना की इस बीमारी का राज भारतीय नेताओं को पता चल जाता तो वो एक साल और इस बंटवारे के विवाद को खींच सकते थे, वैसे भी आजादी की शुरुआती तारीख जो अंग्रेजों ने तय की थी वो जून 1948 ही थी लेकिन बाद में इसे 15 अगस्त 1947 कर दिया गया था. 

भले ही हम एक साल बाद आजाद होते लेकिन देश के टुकड़े नहीं होते और आज भारत-पाकिस्तान और बांग्लादेश मिलाकर देश की सीमाएं काफी बड़ी होतीं.

JAI HIND JAI BHARAT

Tukaram Bhau Bisen
Tukaram Bhau Bisen

DISCLAIMER
This post on my friend post is the post by my friend Tukaram Bhau Bisen on Facebook.

I don't claim that this post is authentic. You have to make a decision based on your research.

But I too have a dream of Akhand Bharat the oldest civilisation of the earth with tremendous knowledge given to us by our rishis (scientist)

I also dream about the future that our coming generation should feel the greatness for our efforts to make Akhand Bharat as the source of knowledge, business, power ( not muscular power) for the entire world.

JAI HIND JAI BHARAT

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